धारा 120 भारतीय दंड संहिता में आपराधिक षड्यंत्र के अपराध को परिभाषित करती है। इस धारा को समझना महत्वपूर्ण है क्योंकि यह इस प्रावधान के तहत अपराध को गठित करने के लिए आवश्यक तत्वों, ऐसे अपराधों के लिए सजा और आईपीसी के अन्य प्रावधानों के साथ इसके संबंध को परिभाषित करती है। इस लेख में, हम धारा 120 के कानूनी प्रावधानों, आपराधिक षड्यंत्र स्थापित करने के लिए आवश्यक तत्वों, अपराध के लिए सजा, उन अपवादों के बारे में चर्चा करेंगे जहां धारा 120 लागू नहीं हो सकती है, व्यावहारिक उदाहरण, महत्वपूर्ण मुकदमेबाजी और इस धारा से संबंधित कानूनी सलाह पर चर्चा करेंगे।
कानूनी प्रावधान (120 IPC in Hindi)
धारा 120 आईपीसी के अनुसार, जो कोई भी व्यक्ति मृत्यु, आजीवन कारावास, या दो वर्ष या उससे अधिक की कठोर कारावास से दंडनीय अपराध करने के लिए आपराधिक षड्यंत्र में भागीदार होता है, उसे उसी प्रकार से दंडित किया जाएगा जैसे कि उसने उस अपराध को उकसाया हो। धारा आगे स्पष्ट करती है कि यदि अपराध मृत्यु, आजीवन कारावास या दो वर्ष या उससे अधिक के कठोर कारावास से दंडनीय नहीं है, तो आपराधिक षड्यंत्र के अपराध के लिए सजा छह महीने तक की कैद, या जुर्माना, या दोनों होगी।
सभी महत्वपूर्ण तत्वों पर विस्तृत चर्चा
धारा 120 के तहत अपराध स्थापित करने के लिए निम्नलिखित तत्व होने चाहिए:
1. सहमति : दो या दो से अधिक व्यक्तियों के बीच किसी अपराध को करने के लिए सहमति होनी चाहिए। सहमति स्पष्ट या अनुमानित हो सकती है, और इसे सीधे या परोक्ष साक्ष्य से साबित किया जा सकता है।
2. इरादा : सहमति के पक्षकारों के पास अपराध को करने का साझा इरादा होना चाहिए। इस इरादे को उनके कार्यों, शब्दों या आचरण से निष्कर्षित किया जा सकता है।
3. एक्टस रियस : हालांकि सहमति स्वयं एक अपराध है, आपराधिक षड्यंत्र स्थापित करने के लिए वास्तविक अपराध को करना आवश्यक नहीं है। स्वयं सहमति दंडनीय है।
4. मेंस रिया : पक्षकारों के पास आवश्यक मानसिक स्थिति होनी चाहिए, अर्थात उन्हें कृत्य की अवैध प्रकृति का ज्ञान होना चाहिए और षड्यंत्र में भाग लेने का इरादा होना चाहिए।
5. षड्यंत्र का विषय : सहमति मृत्यु, आजीवन कारावास या दो वर्ष या उससे अधिक के कठोर कारावास से दंडनीय अपराध को करने के लिए होनी चाहिए। यदि अपराध इतनी गंभीरता से दंडनीय नहीं है, तो षड्यंत्र के लिए सजा कम गंभीर होगी।
सजा
आईपीसी की धारा 120 के तहत आपराधिक षड्यंत्र के अपराध के लिए सजा पर सहमत अपराध की प्रकृति पर निर्भर करती है। यदि सहमत अपराध के लिए सजा मौत, आजीवन कारावास या दो वर्ष या उससे अधिक का कठोर कारावास है, तो षड्यंत्र के लिए सजा वही होगी जैसे कि अभियुक्त ने अपराध को उकसाया हो। यदि अपराध इतनी गंभीरता से दंडनीय नहीं है, तो षड्यंत्र के लिए सजा छह महीने तक की कैद, या जुर्माना, या दोनों हो सकती है।
अन्य प्रावधानों के साथ संबंध
आईपीसी की धारा 120 , जैसे उकसावा (धारा 107) , प्रयास (धारा 511) और सार अपराध आईपीसी के अन्य प्रावधानों से घनिष्ठ रूप से संबंधित है। हालांकि आपराधिक षड्यंत्र एक अलग अपराध है, इसे अक्सर सार अपराध के आयोजन या उकसावे या प्रयास के कृत्यों से जोड़ा जाता है।
जहां धारा लागू नहीं होगी (अपवाद)
कुछ ऐसी स्थितियां हैं जहां आईपीसी की धारा 120 लागू नहीं हो सकती है। ये अपवाद उन स्थितियों में शामिल हैं जहां सहमति मृत्यु, आजीवन कारावास या दो वर्ष या उससे अधिक के कठोर कारावास से दंडनीय अपराध करने के लिए नहीं है। ऐसे मामलों में, आपराधिक षड्यंत्र का अपराध स्थापित नहीं हो सकता है, और अभियुक्त पर अन्य प्रासंगिक अपराधों के लिए आरोप लगाए जा सकते हैं।
व्यावहारिक उदाहरण
1. प्रयोज्यता का उदाहरण : कुछ व्यक्ति एक बैंक लूटने की योजना बनाते हैं। वे पूरे ऑपरेशन की योजना बनाते हैं, भूमिकाएँ निर्धारित करते हैं और चोरी की गई राशि के विभाजन पर सहमत होते हैं। यहाँ आईपीसी की धारा 120 को सभी षड्यंत्रकारियों पर आपराधिक षड्यंत्र का आरोप लगाने के लिए लागू किया जा सकता है।
2. अप्रयोज्यता का उदाहरण : दो दोस्त एक बैंक लूटने की काल्पनिक योजना पर चर्चा करते हैं लेकिन योजना को निष्पादित करने की कोई ठोस कदम नहीं उठाते। वे किसी विशिष्ट विवरण पर सहमत नहीं होते या कोई तैयारी नहीं करते। ऐसे मामले में, धारा 120 लागू नहीं हो सकती क्योंकि किसी अपराध को करने के लिए कोई सहमति नहीं है।
महत्वपूर्ण मुकदमेबाजी
1 . आर वेंकटकृष्णन बनाम सीबीआई : सुप्रीम कोर्ट ने आपराधिक षड्यंत्र के आवश्यक तत्वों पर प्रकाश डाला, पक्षकारों के बीच सहमति और अपराध करने के साझा इरादे की आवश्यकता पर जोर दिया।
2 . परवीन बनाम हरियाणा राज्य : सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि षड्यंत्रकारियों के बीच अवैध कृत्य करने के इरादे के लिए मन के मिलन का सबूत के अभाव में किसी व्यक्ति को आपराधिक षड्यंत्र का दोषी ठहराना सुरक्षित नहीं है।
कानूनी सलाह
यदि आप पर आईपीसी की धारा 120 के तहत आरोप लगाए गए हैं, तो एक अनुभवी आपराधिक बचाव वकील से कानूनी सलाह लेना बेहद महत्वपूर्ण है। वे साक्ष्यों का विश्लेषण कर सकते हैं, अभियोजन के मामले की ताकत का आकलन कर सकते हैं और आपको सबसे अच्छी संभव बचाव रणनीति प्रदान कर सकते हैं।
सारांश तालिका
आईपीसी की धारा 120 | |
---|---|
अपराध | आपराधिक षड्यंत्र |
सजा | सहमत अपराध की प्रकृति पर निर्भर |
तत्व | सहमति, इरादा, एक्टस रियस, मेंस रिया, षड्यंत्र का विषय |
अन्य प्रावधानों के साथ संबंध | धारा 107 उकसावा, धारा 511 प्रयास और सार अपराध से संबंधित |
अपवाद | गंभीर अपराधों पर लागू नहीं |
व्यावहारिक उदाहरण | लागू होना: बैंक डकैती की योजना; लागू न होना: काल्पनिक चर्चा |
महत्वपूर्ण मुकदमेबाजी | आर वेंकटकृष्णन बनाम सीबीआई; परवीन बनाम हरियाणा राज्य |
कानूनी सलाह | अनुभवी आपराधिक बचाव वकील से परामर्श लें |
टिप्पणी: प्रत्येक अनुभाग के शब्द संख्या लगभग है और थोड़ा भिन्न हो सकती है।”