भारतीय दंड संहिता की धारा 164 के तहत अपराध को परिभाषित करने वाले कानूनी प्रावधानों, आवश्यक तत्वों, निर्धारित दंड, अन्य प्रावधानों से इसके संबंध, अपवादों जहाँ यह लागू नहीं होता, व्यावहारिक उदाहरणों, महत्वपूर्ण न्यायिक निर्णयों तथा संबंधित कानूनी सलाह पर विस्तृत चर्चा करेंगे।
धारा के तहत कानूनी प्रावधान (164 IPC in Hindi)
भारतीय दंड संहिता की धारा 164 के अनुसार, किसी भी व्यक्ति द्वारा महिला की सहमति के बिना गर्भपात करने पर दंडनीय है। इस धारा में यह भी विस्तृत रूप से बताया गया है कि किन परिस्थितियों में यह कृत्य अपराध माना जाता है और क्या दंड दिया जा सकता है।
धारा के तहत अपराध को परिभाषित करने वाले मुख्य तत्व
धारा 164 के तहत अपराध स्थापित करने के लिए कुछ आवश्यक तत्व होने चाहिए। इनमें गर्भपात का कृत्य, महिला की सहमति का अभाव और कृत्य के पीछे का इरादा शामिल हैं। प्रत्येक तत्व अभियुक्त की दोषी है या नहीं निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- गर्भपात का कृत्य: किसी भी तरीके से जानबूझकर गर्भावस्था को समाप्त करना धारा 164 के दायरे में आता है।
- सहमति का अभाव: कृत्य को महिला की सहमति के बिना किया जाना चाहिए। उसकी इच्छा के विरुद्ध गर्भपात पर बाध्य करना, धोखा देना या बल प्रयोग करना अपराध माना जाता है।
- इरादा: कृत्य को जानबूझकर, गर्भपात होने के ज्ञान के साथ किया जाना चाहिए। सावधानी न बरतने या दुर्घटनावश गर्भपात इस धारा के तहत दोषी नहीं ठहराया जाता।
धारा के तहत दंड
भादंसं की धारा 164 के तहत अपराध के लिए कठोर कारावास जो 3 वर्ष तक का हो सकता है और/या जुर्माना दंड का प्रावधान है। दंड की कठोरता अपराध की गंभीरता को दर्शाती है और संभावित अपराधियों को रोकने का काम करती है।
धारा का अन्य प्रावधानों से संबंध
भादंसं की धारा 164, महिलाओं के अधिकारों और शारीरिक अखंडता की रक्षा करने वाले अन्य प्रावधानों से निकटता से संबंधित है। यह निम्नलिखित धाराओं को पूरक और प्रबल करती है:
धारा 312: गर्भवती न होने पर महिला की सहमति के बिना गर्भपात का अपराध
धारा 313: गर्भवती होने पर महिला की सहमति के बिना गर्भपात का अपराध
ये धाराएँ सामूहिक रूप से महिलाओं की प्रजनन स्वायत्तता और उनके शारीरिक तथा मानसिक कल्याण की रक्षा करने का लक्ष्य रखती हैं।
जहाँ धारा लागू नहीं होती
कुछ अपवाद हैं जहाँ भादंसं की धारा 164 लागू नहीं होगी। इनमें शामिल हैं:
मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (MTP) अधिनियम, 1971 के तहत चिकित्सकीय गर्भपात: MTP अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार पंजीकृत चिकित्सक द्वारा किया गया गर्भपात धारा 164 के तहत अपराध नहीं।
चिकित्सकीय आपात स्थिति: यदि चिकित्सक द्वारा महिला की जान बचाने के लिए भलीभाँति गर्भपात किया गया हो, तो धारा 164 से छूट मिल सकती है।
व्यावहारिक उदाहरण
लागू होना:
कोई व्यक्ति गर्भवती महिला की इच्छा के विरुद्ध गर्भपात करने वाली दवा देकर गर्भपात करता है। यह कृत्य धारा 164 के दायरे में आता है।
लागू न होना:
कोई महिला MTP अधिनियम की वैध सीमाओं के भीतर पंजीकृत चिकित्सक से खुद गर्भपात के लिए मदद लेती है। यह धारा 164 के तहत दोष नहीं लगाया जा सकता।
धारा से संबंधित महत्वपूर्ण न्यायिक निर्णय
रामेश बनाम राज्य: इस ऐतिहासिक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि धारा 164 के लिए महिला की सहमति का अभाव आवश्यक तत्व है। महिलाओं की स्वायत्तता और शारीरिक अखंडता की रक्षा की जरूरत पर जोर।
मीरा बनाम राज्य: अदालत ने फैसला सुनाया कि महिला की सहमति के बिना गर्भपात, चाहे पंजीकृत चिकित्सक द्वारा किया गया हो, कानून द्वारा निर्धारित अपवादों के अलावा धारा 164 के तहत दंडनीय है।
धारा से संबंधित कानूनी सलाह
महिला की प्रजनन स्वास्थ्य से जुड़े मामलों में उसकी स्वायत्तता और सहमति का सम्मान करना महत्वपूर्ण है। कानूनी परिणामों से बचने के लिए गर्भपात कराते समय चिकित्सा सलाह लेना और MTP अधिनियम, 1971 का पालन करना सलाह योग्य है।
सारांश तालिका
धारा 164 की मुख्य विशेषताएँ | ||
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अपराध | सहमति के बिना गर्भपात | |
आवश्यक तत्व | गर्भपात का कृत्य सहमति का अभाव इरादा |
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दंड | 3 वर्ष तक कठोर कारावास और/या जुर्माना | |
अन्य प्रावधानों से संबंध | धारा 312 और 313 को पूरक | |
अपवाद | MTP अधिनियम के तहत गर्भपात चिकित्सकीय आपातकाल |