हम IPC की धारा 138 से संबंधित कानूनी प्रावधानों, महत्वपूर्ण तत्वों, सजा, अपवादों, व्यावहारिक उदाहरणों, न्यायालय के मामलों तथा कानूनी सलाह में गोता लगाएंगे। इस धारा के जटिल पहलुओं को समझने से आप विधिक भूमिका को बेहतर ढंग से नेविगेट करने और एक प्राप्तकर्ता के रूप में अपने अधिकारों की रक्षा करने में सक्षम होंगे।
कानूनी प्रावधान (138 IPC in Hindi)
IPC की धारा 138 खाताधारक के खाते में धनराशि की अपर्याप्तता के कारण चेक के असम्मान के अपराध से निपटती है। यह प्राप्तकर्ता को ऐसे असम्मान को एक आपराधिक अपराध बनाकर कानूनी उपचार प्रदान करती है। इस धारा के मुख्य प्रावधान इस प्रकार हैं:
- चेक: यह धारा किसी भी चेक पर लागू होती है जो किसी अन्य व्यक्ति को किसी धनराशि का भुगतान करने के लिए खाताधारक द्वारा बैंकर के साथ बनाए गए खाते पर आहरित की गई हो।
- असम्मान: यदि चेक का बैंक द्वारा अपर्याप्त धनराशि या बैंक के साथ किए गए व्यवस्था से अधिक राशि के कारण असम्मान किया जाता है तो यह इस धारा के तहत एक अपराध बन जाता है।
- सूचना: प्राप्तकर्ता को असम्मान की तारीख से 30 दिनों के भीतर लिखित में सूचना भेजनी होगी जिसमें बकाया राशि का भुगतान करने की मांग की गई हो।
- भुगतान: नोटिस प्राप्त होने के 15 दिनों के अंदर आहरितकर्ता को बकाया राशि का भुगतान करना होगा। यदि इस अवधि के भीतर भुगतान नहीं किया जाता है तो अपराध पूरा होना माना जाएगा।
- शिकायत: प्राप्तकर्ता को 15 दिन की अवधि समाप्त होने के 30 दिनों के भीतर सक्षम न्यायालय में शिकायत दर्ज करनी होगी।
धारा के तहत अपराध का गठन करने के लिए सभी महत्वपूर्ण तत्वों पर विस्तृत चर्चा
धारा 138 के तहत अपराध स्थापित करने के लिए निम्नलिखित तत्वों की उपस्थिति आवश्यक है:
- ऋण का अस्तित्व: आहरितकर्ता द्वारा प्राप्तकर्ता को एक कानूनी रूप से लागू ऋण या देयता होनी चाहिए।
- ऋण के निपटान के लिए चेक जारी: चेक का आहरितकर्ता द्वारा पूर्ण या आंशिक ऋण या देयता के निपटान के लिए जारी किया गया होना चाहिए।
- चेक का असम्मान: बैंक द्वारा अपर्याप्त धनराशि या बैंक के साथ व्यवस्था से अधिक होने के कारण चेक का असम्मान हुआ होना चाहिए।
- मांग सूचना: प्राप्तकर्ता द्वारा असम्मान की तारीख से 30 दिनों के भीतर बकाया राशि का भुगतान करने के लिए लिखित में सूचना भेजी गई होनी चाहिए।
- भुगतान न करना: आहरितकर्ता को सूचना प्राप्त होने के 15 दिनों के भीतर भुगतान नहीं करना चाहिए।
- शिकायत दर्ज करना: प्राप्तकर्ता द्वारा 15 दिन की अवधि समाप्त होने के 30 दिनों के भीतर सक्षम न्यायालय में शिकायत दायर की गई होनी चाहिए।
यह ध्यान देना महत्वपूर्ण है कि धारा 138 के तहत अपराध स्थापित करने के लिए इन सभी तत्वों को पूरा करना आवश्यक है।
IPC की धारा के तहत सजा
धारा 138 के तहत अपराध के लिए सजा इस प्रकार है:
- कारावास: डिफॉल्टर को जो दो वर्ष तक के कारावास की सजा हो सकती है।
- जुर्माना: डिफॉल्टर चेक की राशि या ऋण की राशि का दोगुना जुर्माना भरने का भी दायी हो सकता है, जो भी कम हो।
अदालत के पास मामले के तथ्यों और परिस्थितियों के आधार पर कारावास और जुर्माने दोनों या इनमें से किसी एक की सजा देने का विवेकाधिकार है।
IPC के अन्य प्रावधानों से संबंध
धारा 138 IPC चेक के असम्मान के अपराध के साथ विशिष्ट रूप से निपटती है। हालांकि, IPC के अन्य प्रावधानों के साथ इसके संबंध को ध्यान में रखना महत्वपूर्ण है। कुछ प्रासंगिक प्रावधान इस प्रकार हैं:
- धारा 139: यह धारा चेक के धारक के पक्ष में यह अनुमान बनाती है कि यह किसी ऋण या देयता के निपटान के लिए जारी किया गया था।
- धारा 140: यह धारा निदेशकों, प्रबंधकों या कंपनी के अन्य अधिकारियों की धारा 138 के तहत किए गए अपराध के लिए देयता को स्थापित करती है, यदि यह साबित हो जाता है कि अपराध उनकी सहमति या जानकारी में किया गया था।
- धारा 141: यह धारा कंपनी को पूरी तरह से देयता देती है यदि धारा 138 के तहत कोई अपराध कंपनी द्वारा किया गया है। कंपनी के निदेशक, प्रबंधक या अन्य अधिकारियों को भी दोषी ठहराया जा सकता है यदि यह साबित हो जाता है कि अपराध उनकी सहमति या जानकारी में किया गया था।
ये प्रावधान धारा 138 के साथ मिलकर काम करते हैं ताकि चेक के असम्मान के अपराध से प्रभावी ढंग से निपटा जा सके।
जहां धारा लागू नहीं होगी उन अपवादों का विवरण
कुछ स्थितियों में धारा 138 IPC लागू नहीं होती है। जहां यह धारा लागू नहीं होगी उन अपवादों का विवरण इस प्रकार है:
- भुगतान रोकना: यदि आहरितकर्ता ने चेक की प्रस्तुति से पहले बैंक को भुगतान रोकने का निर्देश दिया है, तो चेक के असमठीक है, मैं वहां से जारी रखता हूं जहां से मैंने छोड़ा था:
- भुगतान रोकना: यदि आहरितकर्ता ने चेक की प्रस्तुति से पहले बैंक को भुगतान रोकने का निर्देश दिया है, तो चेक के असम्मान पर धारा 138 के प्रावधान लागू नहीं होंगे।
- खाता बंद करना: यदि चेक पर आहरित खाता, चेक की प्रस्तुति से पहले आहरितकर्ता द्वारा बंद कर दिया गया था, तो असम्मान पर धारा 138 लागू नहीं होगी।
- आहरितकर्ता की मृत्यु: यदि चेक के असम्मान से पहले आहरितकर्ता की मृत्यु हो गई है, तो धारा 138 लागू नहीं होगी।
यदि आपके विशिष्ट मामले में इनमें से कोई अपवाद लागू होता है तो कानूनी विशेषज्ञ से परामर्श लेना महत्वपूर्ण है।
धारा से संबंधित व्यावहारिक उदाहरण
लागू होने वाले उदाहरण:
- एक व्यवसायी माल के भुगतान के लिए एक पोस्ट-डेटेड चेक एक आपूर्तिकर्ता को जारी करता है। हालांकि, जब आपूर्तिकर्ता चेक प्रस्तुत करता है तो व्यवसायी के खाते में अपर्याप्त धनराशि होने के कारण चेक का असम्मान हो जाता है। आपूर्तिकर्ता IPC की धारा 138 के तहत शिकायत दर्ज कर सकता है।
- एक व्यक्ति दोस्त से धन उधार लेता है और भुगतान के रूप में एक चेक जारी करता है। हालांकि, बैंक द्वारा खाता बंद होने के कारण चेक का असम्मान हो जाता है। दोस्त धारा 138 के तहत कानूनी कार्रवाई शुरू कर सकता है।
लागू न होने वाले उदाहरण:
- एक व्यक्ति को एक रिश्तेदार से उपहार के रूप में एक चेक मिलता है। हालांकि, जब व्यक्ति चेक प्रस्तुत करता है तो अपर्याप्त धनराशि के कारण इसका असम्मान हो जाता है। चूंकि इसमें कोई ऋण या देयता शामिल नहीं है, धारा 138 लागू नहीं होगी।
- एक धर्मार्थ संस्था को एक दानदाता से चेक के माध्यम से दान प्राप्त होता है। दुर्भाग्य से, बैंक द्वारा चेक का असम्मान कर दिया जाता है। चूंकि दानदाता द्वारा कोई ऋण या देयता नहीं है, धारा 138 लागू नहीं होगी।
धारा से संबंधित महत्वपूर्ण न्यायालय के मामले
- भास्करन बनाम शंकरन वैद्यन बालन: इस महत्वपूर्ण मामले में, सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय दिया कि चेक का असम्मान एक आपराधिक अपराध है और साबित करने का भार आरोपी पर है कि वह निर्दोष है।
- दशरथ रूपसिंह राठोड़ बनाम महाराष्ट्र राज्य: सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि धारा 138 के तहत मांग सूचना आहरितकर्ता के बैंक रिकॉर्ड के अनुसार सही पते पर भेजी जानी चाहिए। ऐसा न करने पर शिकायत अमान्य हो सकती है।
ये न्यायालय के मामले धारा 138 के महत्वपूर्ण पूर्व निर्णय और व्याख्याएं प्रदान करते हैं।
धारा से संबंधित कानूनी सलाह
- पर्याप्त धन रखें: चेक जारी करने से पहले सुनिश्चित करें कि आपके खाते में पर्याप्त धन उपलब्ध है, ताकि किसी भी असम्मान और संभावित कानूनी परिणामों से बचा जा सके।
- सटीक रिकॉर्ड रखें: असम्मानित चेक से संबंधित सभी वित्तीय लेनदेन और पत्राचार का सटीक रिकॉर्ड रखें, जिसमें मांग सूचना और वितरण का प्रमाण शामिल है।
- कानूनी सहायता लें: यदि आप एक असम्मानित चेक का सामना कर रहे प्राप्तकर्ता हैं, तो धारा 138 के तहत शिकायत दर्ज करने से संबंधित अपने अधिकारों, दायित्वों और कानूनी प्रक्रिया को समझने के लिए कानूनी सहायता लेना सलाह दी जाती है।
सारांश तालिका
धारा 138 | |
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अपराध | खाते में धनराशि की अपर्याप्तता या बैंक के साथ व्यवस्था से अधिक होने के कारण चेक का असम्मान |
तत्व | ऋण का अस्तित्व, ऋण चुकता करने हेतु चेक जारी करना, चेक का असम्मान,मांग सूचना, भुगतान न करना, शिकायत दायर करना |
सजा | 2 वर्ष तक की कैद और/या चेक या ऋण राशि का दोगुना जुर्माना |
अन्य धाराओं से संबंध | धारा 139, धारा 140, धारा 141 |
अपवाद | भुगतान रोकना, खाता बंद करना, आहरितकर्ता की मृत्यु |
यह सारांश तालिका IPC की धारा 138 के प्रमुख पहलुओं का संक्षिप्त अवलोकन प्रदान करती है।
टिप्पणी: इस लेख में प्रदान की गई जानकारी केवल जानकारी के लिए है और इसे कानूनी सलाह के रूप में नहीं माना जाना चाहिए। अपने विशिष्ट मामले के लिए कानूनी मार्गदर्शन के लिए हमेशा किसी योग्य कानूनी विशेषज्ञ से परामर्श लेना सलाह दी जाती है।“