अजवाइन (Ajwain) को सर्दियों में उगाया जाने वाला सोना कहा जाता है। अजवाइन को अंग्रेजी में Carom Seeds कहते हैंअजवाइन को इसके औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है। इसका प्रयोग मसालों के तौर पर भी किया जाता है।
आज के इस लेख में हम अजवाइन के फायदे(Benefits of Ajwain), प्रयोग विधि (uses of Ajwain) और नुकसान (side effects of Ajwain) के बारे में जानेंगे।
मुख्य बिंदु –
- अजवाइन के इस्तेमाल के क्या फायदे होते हैं ?
- अजवाइन कहां सबसे ज्यादा उगाई जाती है ?
- अजवाइन को किन अलग-अलग नामों से बुलाया जाता है ?
- आयुर्वेद के अऩुसार अजवाइन की तासीर कैसी होती है ?
- अजवाइन की प्रयोग विधि क्या होती है।
- अजवाइन के कुछ संभव नुक्सान।
अजवाइन के फायदे (Benefits of Ajwain)
अजवाइन वैसे तो अपने औषधीय गुणों के लिए विश्व भर में प्रयोग की जाती है, इसके इन्ही कुछ फायदों के बारे में नीचे बताया जा रहा है……
- अजवाइन के इस्तेमाल से गैस की समस्या से राहत मिलती है।
- यदि आपके गले में दर्द हो रहा है तो अजवाइन की पोटली बनाकर बांधने से आराम मिलता है।
- प्रसूता अवस्था में यदि खून की कमी हो तो कुछ समय तक अजवाइन का गुड़ के साथ सेवन करना करना चाहिए।
- पेट दर्द की शिकायत होने पर आधे चम्मच अजवाइन में थोड़ी सी हींग और चुटकी भर काला नमक मिलाकर चूर्ण बनाकर, गुनगुने पानी (ajwain water) के साथ खाने से पेट दर्द ठीक होता है।
- डायरिया या हैजा होने पर कमजोरी से जब हाथ पैर ठंडे होने लगते हैं तब तवे पर अजवाइन को गर्म करके पोटली बनाकर, हाथ-पांव पर रगड़ने से राहत मिलती है।
- एक पोटली में अजवाइन बांधकर बार-बार सूंघने से सिरदर्द और जुकाम से छुटकारा मिलता है।
- अजवायम वजन घटाने में भी मदद करती है।
अजवाइन कहां सबसे ज्यादा उगाई जाती है ?
अजवाइन को मिश्र का मसाला कहा जाता है। लेकिन अब भारत, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, इराक और इरान में इसको व्यापक रूप से उगाया जाता है। यदि भारत की ही बात की जाए तो इसकी सबसे ज्यादा खेती दक्षिण भारत में की जाती है।
इसके अलावा इसकी खेती उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात, पंजाब, बिहार, राजस्थान के अलावा दक्षिण भारत के आंध्र प्रदेश, तमिलनाडू, महाराष्ट्र में भी इसकी खेती की जाती है।
अजवाइन को किन अलग-अलग नामों से बुलाया जाता है ?
अजवाइन को इंग्लिश में कैरम सीड (Carom seeds) कहा जाता है। इसे अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग नामों से बुलाया जाता है।
कन्नड़ भाषा में अजवाइन को ओम, ओमा के नाम से, गुजराती में इसे अजमो, तमिल में ओमूम, बंगला में जूवान, मराठी में बोबा, मलयालम में आजामोदकम् और संस्कृत में अजमोद कहा जाता है।
आयुर्वेद के अऩुसार अजवाइन की तासीर कैसी होती है ?
अजवाइन की तासीर गर्म और खुष्क होती है। आयुर्वेद के अऩुसार गर्म होने के कारण यह वायु को खत्म करती है जिससे शरीर को कई तरह के दर्दों से भी आराम मिलता है।
वहीं इसकी तासीर के खुष्क होने का यह फायदा रहता है कि इससे कफ संबंधी समस्याएं भी ठीक होती हैं साथ ही अजवाइन पेट के कीड़ों का भी खात्मा करती है।
अजवाइन की प्रयोग विधि क्या होती है ?
अजवाइन को औषधीय सुंगधित मसाला कहा जाता है। अजवाइन को कई तरीकों से इस्तेमाल किया जा सकता है जिनसे कई फायदे प्राप्त होते हैं। जैसे :-
- अजवाइन को गर्मपानी के साथ लेने से पेट दर्द में राहत मिलती है लेकिन जिन लोगों की तासीर खुष्क हो उन्हें इसे दूध के साथ लेना चाहिए।
- अजवाइन को लस्सी के साथ लेने से पाचन शक्ति ठीक होती है साथ ही भूख भी बढ़ती है।
- जिन भी लड़कियों को मासिक धर्म में दिक्कत होती है, दर्द की समस्या होती है उनके लिए भी अजवाइन का सेवन फायदेमंद साबित होता है।
- गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को अजवाइन का सेवन अवश्य करना चाहिए क्योंकि इससे न सिर्फ खून साफ होगा बल्कि गर्भाशय की परत को मजबूत करने में भी मदद मिलेगी।
अजवाइन के कुछ संभव नुक्सान
अजवाइन को एक सीमित मात्रा में ही प्रयोग करना चाहिए। प्रति व्यक्ति 10 ग्राम से अधिक सेवन करने से मुंह के छाले, कब्ज, एसिडिटी जैसी समस्याएं पैदा हो सकती हैं।
पेट का अल्सर, अल्सरेटिव, कोलाइटस जैसी रोगों से पीड़ित होने पर अजवाइन का सेवन नहीं करना चाहिए। इसके अलावा अजवाइन की तासीर गर्म होने की वजह से गर्मियों में इसका सेवन कम मात्रा में ही करना चाहिए।
हमें उम्मीद है की आपको हमारा यह लेख काफी पसंद आया होगा और आपको आपके प्रश्न अजवाइन क्या होती है? अजवाइन के फायदे, प्रयोग विधि, किस्में और संभव नुक्सान (Ajwain ke fayde, How to use Carom Seeds, Side Effects of ajwain) का उत्तर मिल गया होगा और उसके साथ ही अन्य रोचक जानकारियां भी पसंद आयी होंगी अगर आप इस सम्बन्ध में कोई और जानकारी चाहते हैं तो नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में अपना कमेंट लिख कर सब्मिट करें। हम जल्द ही आपके सवाल का जवाब देंगे और अगर आपको हमारा ये लेख पसंद आया तो लाईक करें और शेयर करें।