बीआईएस (BIS) की फुल फॉर्म भारतीय मानक ब्यूरो (Bureau of Indian Standards)हैं।
भारतीय मानक ब्यूरो (बी.आई.एस.) भारत की राष्ट्रीय मानक निकाय है।
भारतीय मानक ब्यूरो उत्पादों की मानकीकरण, चिहांकन और गुणवत्ता प्रमाणित गतिविधियों के सामंजस्यपूर्ण विकास के लिए एवं इसके साथ जुड़े मामलों या आकस्मिक मामलों के लिए उत्तरदायी है।
भारत मानक ब्यूरो 6 जनवरी 1947 से कार्य कर रहा है। पहले यह आइएसआइ के नाम से कार्य करता था। देश के राष्ट्रध्वज तिरंगे का आकार भी बीआइएस ने ही तैयार किया था। यह अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप बना है।
संसद के अधिनियम दिनांक 26 नवम्बर 1986 के द्वारा 01 अप्रैल 1987 को भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) अस्तित्व में आया जिससे उसका कार्यक्षेत्र व्यापक हुआ और उसे पूर्ववर्ती स्टाफ, देयताएं और प्रकार्य मिले।
इस परिवर्तन के द्वारा सरकार ने गुणतापूर्ण संस्कृति,सजगता तथा राष्ट्रीय मानकों के निर्धारण एवं क्रियान्वयन में उपभोक्ताओं की अधिक भागीदारी पर बल दिया।
भारतीय मानक ब्यूरो का मुख्यालय नई दिल्ली में है। इसके पांच क्षेत्रीय कार्यालय कोलकाता, (पूर्वी), चेन्नई (दक्षिण), मुंबई (पश्चिम), चंडीगढ़ (उत्तर) और दिल्ली (मध्य) में स्थित है।
क्षेत्रीय कार्यालयों के अधीन शाखा कार्यालय (बी.ओ.) है।
28 विभिन्न स्थानों यथा अहमदाबाद, बैंगलुरू, भुवनेश्वर, भोपाल, चंडीगढ़, चेन्नई, कोयमबटूर, देहरादून, दिल्ली, दुर्गापुर, फरीदाबाद, गाजियाबाद, गुवाहाटी, हैदराबाद, जयपुर, जम्मु, जमशेदपुर, कोच्चि, कोलकाता, लखनऊ, मुंबई, नागपुर, परमाणु, पटना, पुणे, रायपुर, राजकोट और विशाखापट्टनम पर 33 शाखा कार्यालय स्थित है।
ये शाखा कार्यालय क्षेत्र की राज्य सरकार, उद्योगों, तकनीकी संस्थानों, उपभोक्ता संगठनों के बीच प्रभावी कड़ी के रूप में कार्य करता है।
भारतीय मानक ब्यूरो ने, मानकीकरण और प्रमाणन गतिविधियों के माध्यम से विशेष तौर पर विभिन्न राष्ट्रीय प्राथमिकताओं और अभियान, डिजिटल इंडिया, मेक इन इंडिया और व्यापार की सुगमता जेसी अन्य सरकारी पहलों को संबोधित करने का कार्य किया है।
भारतीय मानक ब्यूरो, मानकों के विकास में प्रौद्योगिकी परिवर्तन और प्रगति, जलवायु परिवर्तन पर्यावरण और ऊर्जा संरक्षण, स्वास्थ्य और और सुरक्षा की स्थिति और व्यापार की सुविधा जैसे मुद्दों को संबंधित करता आ रहा है।
भारतीय मानक ब्यूरो अनुरूपता मूल्यांकन के क्षेत्र में प्रक्रियाओं को और सरल और तेज करने की दिशा में कार्य कर रहा है।
भारतीय मानक ब्यूरो मानकीकरण और अनुरूपता मूल्यांकन की अपनी मुख्य गतिविधियों के माध्यम से सुरक्षित, टिकाऊ और गुणवत्ता पूर्ण उत्पादों को प्रदान करके, उपभोक्ताओं के लिए स्वास्थ्य संबंधी खतरों को कम करके पर्यावरण का संरक्षण करके, निर्यात और आयात को बढ़ावा देकर किस्मों पर अधिक मुनाफोखोरी को नियंत्रित करके इत्यादि द्वारा राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को लाभान्वित किया जा रहा है।
भारतीय मानक ब्यूरो की मानकीकरण और प्रमाणन योजना उपभोक्ताओं और उद्योग को लाभ पहुँचाने के अलावा, विशेष रूप से उत्पाद सुरक्षा, उपभोक्ता संरक्षण खाद्य सुरक्षा सुरक्षा, पर्यावरण संरक्षण भवन और निर्माण आदि जैसे क्षेत्रों में विभिन्न सरकारी नीतियों का समर्थन करती है।
भारत में ब्रिटिश राज के अंतिम समय में जब औद्योगिक ढांचा खड़ा करने का विशाल कार्य देश के सामने था उस समय इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स (इंडिया) ने ऐसे संस्थान के संविधान का प्रथम मसौदा तैयार किया था जो राष्ट्रीय मानक बनाने का कार्य करे।
इसके परिणामस्वरूप उद्योग एवं आपूर्ति विभाग ने 3 सितम्बर 1946 को एक ज्ञापन निकाला जिसमें ‘’भारतीय मानक संस्थान’’ नाम के संगठन की स्थापना की औपचारिक घोघणा की गई।
भारतीय मानक संस्थान (आईएसआई) 06 जनवरी 1947 को अस्तित्व में आया और जून 1947 को डा लाल सी वर्मन ने इसके पहले निदेशक का कार्यभार संभाला। भारत में पूर्व में बीआईएस एक्ट 1986 लागू था, लेकिन मार्च 2016 को संसद ने बीआईएस 2016 एक्ट पारित कर इसे नया रूप दिया हैं।
इसके लागू होने से ज्वैलरी जैसी और ज्यादा वस्तुओं और सेवाओं पर मानकीकरण अनिवार्य रूप से लागू हो गया है।
नये कानून के मुताबिक जनहित में आवश्यक होने या मानव सुरक्षा, पशु अथवा वनस्पति के स्वास्थ्य, पर्यावरण की सुरक्षा या फिर अनुचित व्यापारिक चालों को रोकने अथवा राष्ट्रीय सुरक्षा के मद्देनजर जरूरी होने पर सरकार किसी वस्तु या सेवा को अनिवार्य मानकीकरण व प्रमाणीकरण के दायरे में ला सकती है।
कीमती धातुओं की वस्तुओं जैसे ज्वैलरी के लिए हालमार्किग को अनिवार्य करने का प्रावधान किया गया है। नये कानून में आसान अनुपालन मूल्यांकन की कई स्कीमों को मंजूरी दी गई है।
इनमें मानकों के अनुपालन के लिए सेल्फ डिक्लेरेशन भी शामिल है। नये नियम में एक प्रावधान किया गया है जिसके तहत सरकार बीआइएस के अतिरिक्त कोई अथॉरिटी या एजेंसी नियुक्त कर सकती है जो उत्पादों व सेवाओं के मानकीकरण अनुपालन की पुष्टि करेगी और इसका प्रमाणपत्र जारी करेगी।
एक अन्य प्रावधान के अनुसार अगर किसी उत्पाद पर मानकीकरण का चिन्ह तो है लेकिन उसके मानकों का अनुपालन नहीं किया गया है तो उत्पादों की मरम्मत और इसे वापस मंगाने की जिम्मेदारी तय की गई है।
नये कानून में भारतीय मानक ब्यूरो (बीआइएस) को भारतीय राष्ट्रीय मानक संगठन (एनएसबीआई) कहलाएगा।
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Bis ki jaroorat q padi is India me ….
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