ब्रिटिश शासन के खिलाफ 1857 के विद्रोह के बाद कई पार्टियां अस्तित्व में आई।
इन पार्टियों की स्थापना तो राष्ट्रीय संगठनों के तौर पर की गई थी, लेकिन इन राजनीतिक पार्टियों का एजेंडा रीजनल बन रह गया था।
यह पार्टियां केवल स्थानीय मुद्दों को सुलझाने में ही फंस कर रह गई थी।
लेकिन उधर ब्रिटिश सरकार एक के बाद एक ऐसे कानून पास कर रही थी जिनसे अंग्रेजों की तानाशाही साफ झलक रही थी।
देशवासियों का गुस्सा भी लगातार बढ़ रहा था। ऐसे में एक ऐसी ऑर्गेजाईशन की जरूरत थी जो नेशनल ऑरगेनाईजेशन बनकर ब्रिटिश हुकूमत से उन्ही की भाषा में लड़े, और उसका नाम है INC
INC full form
INC full form in hindi, INC की फुल फॉर्म है Indian National Congress, इंडियन नेशनल कांग्रेस।
INC को पहले भारतीय राष्ट्रीय संघ के नाम से जाना जाता था लेकिन दादा भाई नौरौजी के सुझाव पर इसका नाम बदलकर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस रखा गया था।
INC की स्थापना
INC की स्थापना एक रिटायर्ड ब्रिटिश अधिकारी ए.ओ. ह्यूम (A.O.Hume) ने 1885 में की थी।
INC की स्थापना एक अंग्रेज अधिकारी द्वारा किए जाने को लेकर बुद्धिजीवीयों में इस पार्टी के प्रति मतभेद भी थे।
इन मतभेदों का होना वाजिब भी था क्योंकि भारतीयों में इस बात को लेकर संशय था कि क्या कोई अंग्रेज ब्रिटिश शासन के खिलाफ जाने की कोशिश कर सकता है।
लेकिन वहीं G.K.Gokhale जी ने एक सिद्धांत दिया था, कि यदि एक ब्रिटिश इस संगठन को शुरू नहीं करता तो अंग्रेज शतप्रतिशत पार्टी का पूर्णतया दमन कर देते।
G.K.Gokhale जी को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी अपना वैचारिक गुरू मानते थे। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि राष्ट्रवादियों ने ए.ओ.ह्यूम की मदद से INC की स्थापना की।
INC के गठन का मुख्य कारण ब्रिटिश शासन का विरोध करना था।
जब INC की स्थापना की गई थी तब यह पार्टी एक संगठन के तौर पर काम करती थी, लेकिन भारत को ब्रिटिश शासन से आजादी मिलने के बाद INC भारत की प्रमुख राजनीतिक पार्टी बन गई थी।
INC के अधिवेशन
कांग्रेस का पहला चार दिवसीय अधिवेशन मुंबई में 28 दिसंबर 1885 को बैरिस्टर W.C.Banerjee अध्यक्षता में संपन्न हुआ था।
यह अधिवेशन पहले पूना में कराया जाना था लेकिन उस समय वहां हैजा फैला हुआ था जिस कारण स्थान को बदलना पड़ा और पहला अधिवेशन तेजपाल संस्कृत कॉलेज कराया गया।
प्रथम अधिवेशन में भारत के हर प्रांत से आए 72 राजनीतिक कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया।
अधिवेशन में मुख्यतः सामाजिक कार्याकर्ता, पत्रकार और वकील शामिल थे। लेकिन कोई भी महिला कार्यकर्ता इस अधिवेशन का हिस्सा नहीं थी।
27 दिसंबर 1886 को ठीक एक साल बाद कोलकाता में पार्टी का दूसरा अधिवेशन कराया गया।
INC के दूसरे अधिवेशन की अध्यक्षता दादाभाई नौरोजी ने की थी जो पहले इंडियन नेशनल एसोसिएशन का नेतृत्व संभाल रहे थे |
दादाभाई नौरोजी के नाम 1892 से 1895 के बीच ब्रिटिश हाउस कॉमन की संसद में शामिल होने वाले प्रथम भारतीय का दर्जा हासिल है।
कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष
1947 में भारत की आजादी के बाद आचार्य कृपलानी जी को कांग्रेस का अध्यक्ष पद सौंपा गया।
कांग्रेस पार्टी के पिछले करीब 136 सालों के इतिहास में 60 के करीब पार्टी अध्यक्ष रहे हैं।
साल 2017 में राहुल गांधी को पार्टी का अध्यक्ष बनाया गया था। लेकिन 2019 में हुए आम-चुनावों में पार्टी को मिली बड़ी हार के बाद राहुल ने अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया।
वर्तमान में सोनिया गांधी पार्टी अध्यक्ष का कार्यभार संभाल रही हैं। सोनिया गांधी इससे पूर्व भी तकरीबन 20 सालों तक कांग्रेस अध्यक्ष पद पर रही हैं।
लाल बहादुर शास्त्री जी और डॉ. मनमोहन सिंह जी दो ऐसे नेता हैं जो पार्टी अध्यक्ष तो नहीं थे लेकिन प्रधानमंत्री के पद को संभाल चुके हैं।
INC के बारे में कुछ और महत्वपूर्ण बातें
INC ने देश को आजादी मिलने के बाद कई सालों तक देश की सत्ता को संभाला है। अगर आंकड़ों पर नजर दौड़ाई जाए तो देश के अधिकांश प्रधानमंत्री कांग्रेस पार्टी के ही रहे हैं।
INC में कई बार मतभेदों के चलते इसके प्रमुख नेताओं ने भी स्वयं की अलग पार्टियां बनाई हैं।
देश में प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी द्वारा 1975 में लगाए गए आपातकाल के बाद उन पर अनुशासन भंग करने के आरोप लगे थे। ऐसे में उन्हें पार्टी से बाहर तक निकाल दिया गया था।
श्रीमती इंदिरा गांधी जी ने तब नई पार्टी का गठन किया। जिसका नाम कांग्रेस(आई) रखा गया। जिसका चुनाव चिन्ह हाथ का पंजा निर्धारित किया गया।
सरदार पटेल के निधन और महात्मा गाँधी की हत्या के बाद भी पार्टी ने हिम्मत नहीं हारी।
आजादी के बाद के पहले संसदीय चुनावों में जवाहरलाल नेहरु जी के नेतृत्व में पार्टी ने शानदार जीत हासिल की। जीत का यह सेहरा 1967 तक पार्टी के सर पर सजा रहा।
कांग्रेस ने देश को 7 प्रधानमंत्री दिए हैं। जो निम्न हैं-
- पंडित जवाहर लाल नेहरू
- गुलजारीलाल नंदा (कार्यवाहक प्रधानमंत्री)
- लालबहादुर शास्त्री
- इंदिरा गांधी
- राजीव गांधी
- पीवी नरसिंहराव
- डॉ. मनमोहन सिंह
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