सरकार के नए कृषि सुधार कानूनों के खिलाफ पिछले कई महीनों से किसान आंदोलन कर रहे हैं। किसान सरकार द्वारा लाए गए तीनों नए कृषि कानून वापस लेने की मांग पर अड़े हैं।
नए कृषि काननों में किसानों की यह सबसे प्रमुख मांग है कि उनकी फसलों की खरीद MSP के अनुसार जारी रहनी चाहिए।
लेकिन सरकार लिखित में इस बारे में कोई आदेश जारी नहीं कर रही है, जो किसानों के लिए सबसे बड़ी परेशानी का सबब बना हुआ है।
आखिर यह MSP है क्या। यह कैसे तय होता है। इस लेख में हम आपको MSP से संबंधित इसी तरह के कई जरूरी प्रश्नों के उत्तर देने की कोशिश करेंगे।
Full form of MSP
MSP full form in hindi, MSP की फुल फॉर्म होती है Minimum support price, अर्थात न्यूनतम समर्थन मूल्य।
What is MSP
MSP kya hota hai, MSP किसानों को उनकी फसलों का न्यूनतम दाम देने की गारंटी प्रदान करता है।
यह किसानों के आर्थिक हितों की भी रक्षा करता है। बाजार में किसी फसल का मूल्य कितना भी क्यों न गिर जाए सरकार किसान से उसकी फलस MSP पर ही खरीदेगी।
किसी भी फसल पर MSP पूरे देश में एक ही होता है।
MSP कैसे तय होता है
किसानों की फसलों का MSP तय करने के लिए सरकार ने CACP(The Commission for Agricultural Costs & Prices) यानी कृषि लागत एवं मूल्य आयोग का निर्माण किया है। इसकी स्थापना 1965 में की गई थी।
कृषि लागत एवं मूल्य आयोग हर वर्ष किसी भी फसल की बुआई के ठीक पहले ही MSP तय कर लेता है।
गन्ने की फसल का MSP गन्ना आयोग द्वारा तय किया जाता है।
आयोग का कार्य होता है कि किसान की बोई जा रही फसल पर लगने वाली लागत के आधार पर फसलों की कीमत तय करे और अपने सुझाव सरकार के पास भेजे।
सरकार CACP द्वारा भेजे गए सुझावों के आधार पर ही किसानों की फसलों का MSP तय करती है।
अभी तक सरकार तकरीबन 23 फसलों का MSP तय करती आई है।
MSP का किसानों के लिए फायदा
किसानों को अपनी फसलों के MSP पहले से सरकार द्वारा तय किए जाने का बहुत फायदा होता है क्योंकि यदि फसलों के दामों में गिरावट भी क्यों न हो लेकिन सरकार किसान से उसकी फसल पहले से तय MSP पर ही खरीदेगी।
स्वामीनाथन आयोग
सरकार ने MSP तय करने के लिए कृषि कानूनों में सुधार करने के लिए 2004 में स्वामीनाथन आयोग गठन किया गया था। सरकार को आयोग ने MSP तय करने के लिए कई फार्मूले सुझाए थे।
डा. एमएस स्वारमीनाथन समिति ने सरकार को यह सुझाव दिया था कि किसी भी फसल का MSP किसान द्वारा लगाई जा रही औसत उत्पाुदन लागत से कम से कम 50 प्रतिशत अधिक रखा जाए।
NDA सरकार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की अध्यक्षता में स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश को लागू करने का फैसला लिया।
सरकार ने 2018-19 के बजट में यह प्रावधान किया कि फसल की उत्पाादन लागत से कम-से-कम डेढ़ गुना ज्यादा MSP निर्धारित किया जाएगा।
सरकार क्यों करती है फसलों की खरीद
सरकार ने गरीबी रेखा से नीचे रह रहे लोगों और पिछड़े तबके के लोगों के लिए कई तरह की योजनाएं चलाई हुई हैं उसमें से एक है सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS), इसके अंतर्गत सरकार कम कीमत पर लोगों को अनाज महैया कराती है।
सरकार किसानों से तय की गई MSP पर विभिन्न एजेंसियों के माध्यम से अनाज खरीदती है।
सरकार इस खरीदे गए अनाजों का बफर स्टॉक तैयार करती है।
इसके बाद यह स्टॉक FCI और नैफेड के पास जमा हो जाता है।
इसी अनाज का प्रयोग सार्वजनिक वितरण प्रणाली के लिए किया जाता है।
इसके अलावा भी अगर बाजार में किसी अनाज के भावों में अचानक तेजी आए तो सरकार अपने स्टॉक में से अनाज को खुले बाजार में निकालती है ताकि बढ़ी हुई कीमतों को काबू किया जा सके।
आज हमने आपको बताया कि MSP क्या होता है कैसे तय होता है, और किसानों को इसका क्या फायदा होता। उम्मीद करते हैं कि आपको हमारा यह लेख पसंद आया होगा। आपको हमारा यह लेख कैसा लगा इसके अलावा अगर आपको इस लेख से संबंधित कुछ प्रश्न हैं तो हमें कमेंट करके जरूर बताएं।