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Home इतिहास और तथ्य

बिहार के शिक्षा मंत्री कौन है और उनका जीवन परिचय

by Editorial Team
August 4, 2020

बिहार बोर्ड के 12 वीं के परीक्षा परिणाम 26 मार्च को घोषित किए गए, जिसमें 78.04 फीसदी छात्रों ने सफलता हासिल की।

खास बात है कि आर्ट्स, कॉमर्स व विज्ञान तीनों स्ट्रीम में लड़कियों ने बाजी मारते हुए पहला स्थान हासिल किया।

परीक्षा परिणामों की घोषणा बिहार के शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने की।

विजय कुमार चौधरी बिहार की राजनीति के कद्दावर नेता माने जाते हैं।

1982 से वह सक्रिय राजनीति में शामिल हैं और बिहार सरकार में कई बार मंत्री रह चुके हैं

bihar ke shiksha mantri

इस लेख में हम बिहार के शिक्षामंत्री विजय कुमार चौधरी के जीवन पर प्रकाश डालेंगे। उनके व्यक्तिगत जीवन व राजनैतिक जीवन दोनों पर चर्चा करेंगे –

 

बिहार के शिक्षामंत्री का जीवन परिचय  

विजय कुमार चौधरी का जन्म 8 जनवरी 1957 को बिहार के समस्तीपुर स्थित दलसिंह सराय में जगदीश प्रसाद चौधरी के घर हुआ।

उनके पिता एक स्वतंत्रता सेनानी व कांग्रेस के नेता थे। वह दलसिंह सराय से ही 3 बार विधायक रह चुके थे।

विजय कुमार चौधरी ने पटना विश्वविद्यालय से 1979 में इतिहास विषय में अपना एम.ए. पूरा किया और उसी साल वह त्रिवेन्द्रम में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में प्रोबेशनरी अफसर के तौर पर भर्ती हुए।

उनकी पत्नी का नाम गंगा चौधरी है।

उनके दो बच्चे हैं…. सुभादित्य व अंकिता।

 

बिहार के शिक्षामंत्री का राजनैतिक जीवन

विजय कुमार चौधरी के राजनीतिक जीवन की शुरुआत 1982 में हुई।

उन्होंने कांग्रेस से अपना सियासी जीवन शुरू किया।

1982 में विधायक पिता के निधन के बाद उन्होंने बैंक की नौकरी से इस्तीफा देकर दलसिंह सराय से ही उपचुनाव लड़ा और पहली बार विधानसभा का हिस्सा बने।

1985 और 1990 में वह फिर इसी विधानसभा से विधायक चुने गए।

1982 से 1995 तक वह बिहार राज्य औद्योगिक विकास निगम(BSIDC) के उपाध्यक्ष रहे। हालांकि उसके बाद लगातार दो चुनाव (1995 व 2000) में उन्हें अपनी विधानसभा से हार का सामना करना पड़ा।

सन् 2000 में चुनाव हारने के बाद वह अगले 5 साल तक कांग्रेस के बिहार प्रदेश समिति के महासचिव रहे।

2005 में उन्होंने जेडीयू का दामन थामा।

जदयू के टिकट पर वह 2005 में सराय रजंन से चुनावी मैदान में उतरे लेकिन लगातार तीसरी बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा।

जदयू ने 2008 में उन्हें पार्टी महासचिव व मुख्य प्रवक्ता की ज़िम्मेदारी सौंपी जो उन्होंने फरवरी 2010 तक पार्टी अध्यक्ष बनने तक जारी रखीं।

2010 में ही उन्हें दोबारा जीत का स्वाद उसी सराय रंजन सीट से मिला जिससे वह पिछली बार हारे थे।

विधायक होने के साथ ही उन्हें जल संसाधन मंत्री की ज़िम्मेदारी मिली।

फरवरी 2015 में जीतनराम मांझी की बगावत के बाद उन्होंने मंत्री परिषद से इस्तीफा दे दिया।

बाद में नीतिश कुमार द्वारा विश्वास मत जीते जाने के बाद उन्हें जल ससांधन के साथ कृषि, सूचना, जनसंपर्क व पशु और मछली संसाधन विभागों का अतिरिक्त प्रभार भी मिला।

2015 के विधानसभा चुनावों में वह एक फिर विधायक बनने में सफल रहे। दिसंबर 2015 में उन्हें सर्वसम्मति से विधानसभा अध्यक्ष चुन लिया गया।

2020 के चुनावों में वह लगातार तीसरी बार सराय रंजन से विधायक चुने गए और नीतिश कुमार मंत्रिमंडल में फिर से जगह बनाने में सफल रहे।

 

विजय कुमार चौधरी की उपलब्धियां

अपने राजनैतिक जीवन में बिहार के शिक्षामंत्री के खाते में कई अहम उपलब्धियां भी दर्ज़ हैं।

उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि मानी जाती है… दर्गावती जलाशय परियोजना, जिसे 2014 में पूरा किया गया। बीते 38 सालों से अटकी इस परियोजना को उनके जल संसाधन मंत्री रहते पूरा किया गया।

उन्हीं के नेतृत्व में 4 हजार 442 करोड़ की आठ नदी जोड़ों परियोजनाएं भी शुरू की गईं।

उनके जल संसाधन मंत्री रहने के दौरान 2010 से 2015 तक बिहार में कोई भीषण बाढ़ नहीं आई।

इसके अलावा विधानसभा अध्यक्ष के रूप में उन्होंने व्यापार की प्रक्रिया व आचरण में 44 संशोधन किए।

उनके द्वारा सरकार द्वारा विश्वास प्रस्ताव लाने के नियम को पहली बार देश की किसी विधानसभा में लागू किया।

वित्तीय मामलों की समिति में एमएलसी को शामिल करने, विधानसभा सचिवालय की भर्ती में पारदर्शिता, बिहार विधानसभा को पेपर लैस बनाने के लिए राष्ट्रीय ई-विधान को लागू करने की पहल जैसी उपलब्धियां उनके खाते में हैं।

 

अंतिम शब्द

स्वभाव से मृदु भाषी माने जाने वाले विजय कुमार चौधरी ने अपने राजनैतिक जीवन की शुरुआत कांग्रेस से की लेकिन इस वक्त वह जेदयू में नीतिश कुमार के बाद नंबर-2 नेता माने जाते हैं। यह उनकी काबलियत को दिखाता है।

हम उम्मीद करते हैं कि बिहार के शिक्षा मंत्री कौन है और उनका जीवन परिचय से जुड़ी जानकारियां आपको अच्छी लगी होगी। अगर अच्छी लगी हैं तो इसे लाइक करें और शेयर करें।

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